यह विभाग शर्करा एवं उससे सम्बन्धित उद्योगों को सभी तकनीकी मामलों के साथ-साथ पुराने पड़ चुके कारखानों के रख रखाव या नई कारखानों के स्थापना करने और उससे संबन्धित समस्याओं जैसे गन्ना प्रबंधन, वाष्प ईंधन, ऊर्जा संतुलन, शर्करा की रिकवरी मे सुधार, शर्करा के हानियों मे कमी करना, शर्करा के गुणवत्ता मे सुधार करना, शर्करा के भंडारण तथा ऊर्जा एवं पानी को संरक्षित करना आदि विषयों पर परामर्श प्रदान करता है।
विस्तारीकरण विभाग की स्थापना 1959 ई0 में, शर्करा उद्योग की सहायता के लिए, वर्तमान कारखानों के विस्तारिकरण एवं संतुलन तथा इसके अन्य इकाइयों के साथ एकीकृत संचालन एवं उद्य़ोग की तकनीकी क्षमता के विकास में परामर्श प्रदान करने के लिए की गई थी। इस विभाग की गतिविधियों में निम्न कार्य शामिल हैं :-
सेवाएँ -
विस्तारीकरण विभाग निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान करता हैः-
- सामान्य परीक्षण।
- कारखानो की परफ़ोर्मेंस संबंधित सर्वे।
- ईंधन तथा ऊष्मीय ऊर्जा के किफायती उपयोग संबंधित परीक्षण।
- आधुनिकीकरण तथा विस्तारीकरण और उनमें संतुलन।
- स्टीम, वेपर एवं जूस पाइपलाइन का आधुनिकीकरण।
- तकनीकी साध्यता एवं तकनीकी मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करना ।
- क्षमता विस्तार संबंधित रिपोर्ट तैयार करना।
- उष्मीय ऊर्जा संतुलन एवं ऊर्जा उत्पादन से संबंधित परियोजनाओं पर रिपोर्ट तैयार करना।
- खोई, फिल्टर केक एवं शीरा मे शर्करा के नुकसान को कम करना।
- शर्करा की गुणवत्ता एवं परता में सुधार।
- गन्ना पेराई की दर को बढाना।
- स्टीम एवं ईंधन में संतुलन बनाना।
- मशीनरी एवं संयंत्रों की डिजायन तैयार करना।
विस्तारीकरण विभाग शर्करा-प्रौद्योगिकी, रसायन-अभियांत्रिकी और शर्करा-अभियांत्रिकी के आचार्यों के दिशा- निर्देश में अधिकारी एवं कर्मचारी उपरोक्त सारी गतिविधियों को पूरा करते हैं।
नीचे दिये गए कर्मचारियों के अतिरिक्त संस्थान मे उपलब्ध तकनीकी कर्मचारी शर्करा उद्योग के फायदे के लिए परामर्श-बेसिस पर उपलब्ध हैं।