शर्करा प्रौद्योगिकी विभाग हमारे संस्थान का एक सबसे महत्पूर्ण विभाग है, जो संस्थान एवं उद्योगों के परस्पर सहयोग से कई नवीन उत्पादन तकनीकों पर कार्य कर रहा है। यहाँ के कई प्रसिद्ध प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की सेवाओं द्वारा विभाग ने ऐसे तकनीकों और विधियों का विकास किया है जिनका वैश्विक स्तर पर प्रयोग किया जा रहा है। यह विभाग महत्वपूर्ण विश्लेषणात्मक और शोध संबंधित तकनीकों का जो आई.सी.यू.एम.एस.ए. के मानकों के अनुरुप है, ऐसे संयंत्रों का प्रयोग करता है।
विभाग निम्न गतिविधियों में प्रमुख भूमिका निभाता हैः-
भारतीय शर्करा मानक निर्धारण का अधिकार राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर को बी.आई .एस., नई दिल्ली के द्वारा प्रदान किया गया है। IS.498 के अनुसार निर्धारित L-31,M-31,S-31,L-30,M-30,S-30, और SS-31,श्रेणियों के शर्करा मानकों को तैयार किया जाता है, जहाँ L, M और S शर्करा के दानों का आकार एवं 30,31 उसके रंग का निर्धारक है। भारत के राजपत्र संख्या 1675 दिनांक 29-8-2011 की अधिसूचना के अनुसार प्रत्येक शर्करा उत्पादक उद्योग के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि वह शर्करा मानक प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर से प्राप्त करे तथा शर्करा उत्पादन उन निर्धारित मानकों के अनुसार ही करें।
यह विभाग शर्करा उत्पादन में नवीन वातावरण अनुकूल और प्रौद्योगिकी रुप से किफायती सल्फर रहित शर्करा उत्पादन और उपलब्ध शर्करा उद्योग में उच्च गुणवत्ता के शर्करा उत्पादन तथा उत्पादन के दरम्यान कम से कम शर्करा के नुकसान के लिए प्रयासरत हैं। वर्तमान में निम्न परियोजनाओं पर शोध कार्य जारी हैः-
यह विभाग अनेक तकनीकों के विकास के श्रेय का हकदार है। इसके सहयोग से उत्तम गुणवत्ता की शर्करा का उत्पादन, शर्करा संयंत्रों में वृहत् पैमाने पर किया जा रहा है।
राष्ट्रीय तथा अन्तराष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में इस विभाग के द्वारा 500 से भी ज्यादा शोधपत्र प्रकाशित किए गए हैं।