अभियांत्रिकी या उद्योग में प्रमुख जरुरत उपकरणों की रचनात्मक समझ विकसित करना होता है,जो इसका प्रमुख आधार साबित होता है, अतः इस विभाग की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है जिससे छात्रों में विभिन्न उपकरणों की डिजायन एवं मशीनों के बारे जानकारी सैद्धांतिक एवं प्रयोगात्मक कक्षाओं के माध्यम से विकसित किया जा सके।
यह विभाग शिक्षण के अतिरिक्त शर्करा संस्थान मे भुगतान के आधार पर शर्करा उद्योगों की विभिन्न उपकरणों की माँग के अनुरुप डिजायन तैयार करता है। वर्तमान में इस विभाग के द्वारा लगभग 150 विभिन्न क्षमताओं वाले उपकरणों के आलेख तैयार किए गए हैं। इस विभाग के पास 700 के आस-पास डिजायनों के आलेख (रेखाचित्र) तैयार हैं।
इस विभाग की गतिविधियों मे छात्रों को ऑटोकैड के द्वारा विभिन्न उपकरणों के डिजायन एवं आलेख तैयार करने संबन्धित शिक्षण तथा प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें परास्नातक तथा सर्टिफिकेट की डिग्रियाँ प्रदान करना है। इसके साथ-साथ यह विभाग शर्करा उद्योग में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों की माँग के अनुरुप डिजायन तैयार करना तथा को- जेनरेशन, ऊर्जा एवं जल संरक्षण संबंधित परामर्श भी प्रदान करना है।
यह विभाग, भारत सरकार की “नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय” के लिए को-जेनरेशन से संबंधित जैव ईंधन संयंत्रों की उपादेयता का मूल्यांकन भी करता है।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में इस विभाग के द्वारा पिछले दशक 20 से भी ज्यादा शोधपत्र प्रकाशित किए गए हैं।