दयित्व निर्वहन कौशलः-

जब आप कभी किसी समूह के सदस्य के रुप में कार्य करते हैं, तो आपको किसी कार्य को पूरा करने में अन्य लोगों की मदद की आवश्यकता होती है। ऐसी परिस्थितयों में आपके दायित्व निर्वहन कौशल की परीक्षा होती है। दायित्व निर्वहन सुनने में आसान प्रतीत होती है पर ऐसा नहीं है। वास्तविकता यह है कि दायित्व निर्वहन प्रायः सही से पूरा नहीं किया जाता। आपके लिए दायित्व निर्वहन कौशल को सीखना जरूरी है, और आप इसे टाल भी नहीं सकते हैं। यहाँ आपको कुछ दायित्व निर्वहन कौशल की जानकारी दी जा रही है।

संवाद कौशल बहुत आवश्यक हैः-
अच्छी संवाद क्षमता किसी व्यक्ति को उसके कार्यों को सही तरीके से समझने के लिए आवश्यक है, अधूरी अथवा अस्पष्ट सूचनाएं समस्याओं को जन्म देती हैं। याद रहे संवाद कौशल दो दिशाओं में चलने वाली गतिविधि है। अतः किसी कार्य का दायित्व देने से पहले संबंधित व्यक्ति की आवश्यक ज्ञान तथा क्षमता की प्रति सुनिश्चित हो लें। यदि आपका चुना हुआ व्यक्ति सही नहीं है, तो आपका कार्य अधूरा एवं तनाव देने वाला होगा। यह भी संभव है कि उस कार्य के लिए कुछ वृहत जानकारियों की आवश्यकता पड़े। अतः आप उस व्यक्ति को संबंधित कार्य से जुड़े पहलुओं का भी विवरण दे सकते हैं, कि कैसे काम को पूरा किया जाए।
दायित्व सौंपने अथवा स्वीकार करने में वक्त लेः-
किसी भी कार्य निर्दिष्ट लक्ष्य के अनुसार पूरा नहीं हो पाने का कारण यह है कि हम बिना सोचे समझे किसी भी प्रकार से दायित्व को बाँट देते हैं और दूसरी वजह यह है कि हम दायित्व बिना ठीक से समझे ही बांटते हैं। कोई भी कार्य कितना चुनौतीपूर्ण है या नहीं इसके विषय में सावधानीपूर्वक निर्णय लेना चाहिए। यदि दायित्व बिना किसी नियम के बाँटे गये तो निश्चित रुप से कार्य अपेक्षित लक्ष्य के अनुरुप नहीं होगा। जबकि यह एक-दूसरे पर दोषारोपण का कारण साबित होगा। यहाँ यदि हम छोटे प्रयास से दायित्व का सही निर्वहन सुनिश्चत करते हैं तो सभी में सही कार्य बँटबारा होगा और बाद में यह हमे परेशानियों से बचाएगा। वैसे कार्य जो दिन प्रतिदिन किए जाने वाले हों उन्हें क्रमबार ढँग से व्यवस्थित कर लेना चाहिए। एक बार का किया गया यह प्रयास हमें बार-बार निर्देश देने से बचाएगा। यहाँ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि लिखित कागजात, मौखिक दिशा-निर्देश से बेहतर होते हैं जो आवश्यकता अनुरुप संशोधित भी किए जा सकते हैं।
विस्तृत दिशा-निर्देशन करेः-
क्रमवार दिशा-निर्देशन का अनुशरण करना आसान होता है, क्योंकि कुछ कार्य कई चरणों वाले भी हो सकते हैं। प्रत्येक चरण के लिए जाँच की व्यवस्था करना भी अच्छा होता है। जिससे यह पता चलती है कि कार्य सही से संपादित हुई है अथवा नहीं। इन चरणों में विक्लपों की भी योजना बनाना चाहिए जिसका विवरण आगे दिया गया है।
सही चुनाव की योजना बनाएः-
यदि चुनाव का निर्णय लेना हो तो ध्यान रहे संबंधित व्यक्ति को निम्न विषयों पर जानकारी होनी चाहिएः-
1-उस विषय पर ध्यान दें, जहाँ चुनाव आधारित निर्णय करना है।
2- न्याय करने के लिए किस आधार किस आधार पर निर्णय किया जाए। तथा,
3- कैसे सही निर्णय का आँकलन किया जाय।
किसी-किसी मामले में तेजी से निर्णय लेने की जरुरत होती है जिससे कार्य में तेजी लाई जा सके अतः ऐसे कार्यों को चिन्हित करें तथा तेजी लाने वाले उपायों को वर्णित करें। यदि कार्य में प्रगति की माँग हो तो वहाँ आप उचित समय में कार्य को पूरा करें।
जो व्यक्ति सूचनाओं को ग्रहण कर रहा हो उसे आँकलन हेतु समय प्रदान करेः-
जिस व्यक्ति को दिशा-निर्देश दिया जा रहा हो उसे उन विषयों पर परीक्षण हेतु एवं पूर्व अवलोकन हेतु समय दे तथा उसके उपरांत शंकाओं को व्यक्त करने का भी मौका दे जिससे आपको कार्य के बीच में संबंधित विषय पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता नही होगी। क्योंकि कार्य के बीच में ऐसी स्थिति तनाव पैदा करती है। आप स्वयं भी संबंधित व्यक्ति की ओर से उभरने वाली शंकाओं पर स्पष्टीकरण दे सकते हैं या आप ऐसा व्यक्ति के काम के परीक्षण के समय भी कर सकते हैं।
यदि संभव हो तो कार्य के दरम्यान जाँच पड़ताल भी करेः-
यदि कार्य पहली बार की जा रही हो तो उन्हें बीच में जाँचने की भी योजना बनाएँ, क्योंकि बाद मे यह आकलन नहीं किया जा सकता कि गलतियाँ कहाँ हुई, अतः कार्य के बीच मे अल्पावधि के लिए जाँच लेना भी बेहतर है कि आशानुरुप कार्य हो रहा है अथवा नही। जो कार्य के प्रारम्भ में ही समस्याओं को पनपने से रोकने में सहायक होगी।
प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करेः-
यह हमेशा ध्यान रहे कि हम हमेशा कठिन कार्यों को पूरा करनें में दूसरों पर आश्रित रहते हैं। अतः हमें दूसरों के सहयोग का सम्मान करना चाहिए, वैसे लोगों का जो सामान्य कार्यों को भी अंजाम देते हैं उन्हे सम्मानित करने का एक तरीका यह है कि उन्हें तुरन्त पर्याप्त प्रशंसा प्रदान करें। यदि काम इच्छित ढंग न हो पा रहा हो तो उसके कारणों की पड़ताल कर लें न कि दूसरों पर आरोप लगाएँ क्योंकि यदि आप आरोप लगाते हैं तो संबंधित कार्य में मदद नहीं मिलती। उससे बेहतर है कि आप यह पता लगायेँ कि गलतियाँ कहाँ हो रहीं हैं तथा उन्हें कैसे सुधारा जाए। जिस व्यक्ति को जिम्मेदारी दी गई हो उसे यह सुनिश्चत होना चाहिए कि उस कार्य में किसी भी प्रकार की अनिश्चतता न हो, क्योंकि यही आगे चलकर अनावश्यक आरोप-प्रत्यारोप का कारण बनता है। जिस व्यक्ति को कार्य सौंपा गया हो उसे दिशा-निर्देशों के प्रति आश्वस्त होना चाहिए, जिससे कार्य के सही तरह से पूरा होने की पूरी संभावना रहती है।
कार्य प्रणाली से संबंधित विवरण एवं उच्च स्तरीय संचालन प्रक्रियाएं :-
यदि कार्य सामान्य हो तो मौखिक दिशा-निर्देश काफी होते हैं, परन्तु यदि यह बार-बार की जाती है तो उसके लिए लिखित कागजात तैयार करें, विशेष रुप से तब जब किसी कार्य में अनेक चरण हों तथा उसमें चयन आधारित क्रम हों। अतः कार्य की रुपरेखा तैयार करना एक बार में धोड़े प्रयास से किया जा सकता है। जो बाद में किए लगने वाले मेहनत से अच्छा है आप समय-समय पर इसमे परिवर्तन भी ला सकते हैं। कुछ काम अत्यन्त महत्पूर्ण होते हैं, जिसमें अनिश्चित प्रतिफल आना भी एक समस्या है। इस प्रकार के कार्यों में आपको सिर्फ कार्य प्रणाली तैयार करने की जरुरत नहीं होती बल्कि एक उच्च स्तरीय संचालन प्रक्रिया की जरुरत होती है। जिससे हर चरण मे विभिन्न परिस्थितियों से संबंधित विवरण होते हैं जो कार्य के दरम्यान आ जाते हैं। हम यह मानना है और इसकी सलाह भी देते हैं कि उच्च स्तरीय संचालन प्रक्रियाएँ चुनौतीपूर्ण कार्यों में अत्यन्त महत्पूर्ण होती हैं।