सही समय प्रबंधन कौशल आपको एक दिन मे कई कार्य पूरा करने मे मदद करता है। आज लोगो के पास अपने सारे जरूरी कार्यों के अतिरिक्त भी कई इच्छायेँ होती हैं, जिनकी पूर्ति के हमेशा समय का अभाव प्रतीत होता है। दूसरी तरफ आपको आराम के लिए भी पर्याप्त समय निकालने कि जरूरत होती है, जिससे आप पुनः तरोताजा हो सकें तथा अपने कार्यों मे नियमित रूप से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदान कर सकें। यहाँ आपको ऐसे ही कुछ सलाह प्रदान किए जा रहे हैं जिससे आप अपना सही समय प्रबंधन कर सकें।
प्रमुखता के आधार पर कार्यों को निर्धारित करे यदि आप महत्वपूर्ण कार्यों को प्रमुखता से निपटाते हैं तो आप अन्य कार्यों को शांत दिमाग से कर पाते हैं, वहीं यदि आप महत्वपूर्ण कार्यों को अंतिम क्षणों के लिए छोड़ देते हैं तो अंत समय मे यह समय के दबाव मे कार्यों की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। इस प्रकार आप महत्वपूर्ण कार्यों के पूरा न होने से समय को बर्बाद करने के कारण तनावग्रस्त भी हो सकते हैं।
कार्यस्थल को व्यवधान मुक्त बनाएँ अनावश्यक एवं अनजाने मे पड़ने वाले व्यवधान से मुक्त कार्यस्थल ही समर्पित भाव से कार्यों को पूरा करने मे सहायक होते हैं। कभी कभी आपको आवश्यक संसाधनों जैसे पुस्तकालय आदि कि भी आवश्यकता होती है, अतः अपने कार्यस्थल का निर्धारण इन चीजों को ध्यान मे रखकर ही बनाएँ। अपने समय प्रबंधन को संसाधनों के अभाव और अनावश्यक व्यवधान के कारण प्रभावित ना होने दें। अपने लिए इसके लिए अतिरिक्त उपाय भी तैयार रखने चाहिए।
अपने समय को छोटे-छोटे टुकड़ों मे बांटे इससे आपको विशिष्ट कार्य को करने के लिए विशिष्ट समय की प्राप्ति हो, जब आप एक बार अपने प्रत्येक कार्य के लिए समय का निर्धारण कर लेते है तो यह आपके योजना के अनुरूप सभी कार्यों को व्यवस्थित कर पाते हैं, जिसमे कोई भी कार्य अन्य कार्य मे बाधा नहीं पहूँचाती। यह समय कि अवधि अत्यंत बड़ी नही होनी चाहिए, क्योंकि इससे कार्य मे रुचि घटने लगती है तथा आप उस कार्य मे केन्द्रित नहीं हो पाते हैं। वहीं दूसरी तरफ यह समयावधि इतनी भी छोटी नहीं होनी चाहिए कि यह किसी विशिष्ट कार्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त ना हो। कार्य कि अवधि 30 मिनट से लेकर 1 घंटे कि बेहतर होती है। बड़े कार्यों के लिए आप कई छोटे छोटे समय के टुकड़ों के बीच आराम के लिए भी समय रख सकते हैं।
अपने कार्यों को समय के छोटे- छोटे टुकड़ों मे व्यवस्थित करें:-हममे से प्रत्येक व्यक्ति अपने निजी जीवन की कार्यों के लिए कुछ न कुछ समय अवश्य निकालता है। उदाहरण के तौर पर भोजन करने, सोने, कसरत करने, प्रार्थना करने, भ्रमण करने, दोस्तों के साथ समय व्यतित करने तथा अपने नियमित रुचियों को पूरा करने जैसे कार्यों के लिए। आपको यह हमेशा ध्यान रहना चाहिए कि आप इन कार्यों मे अतिरिक्त समय व्यर्थ न करते हों तथा इन कार्यों के लिए भी पर्याप्त समय मिलती हो। अतः आपको ऐसी समय तालिका बनानी चाहिए कि आपके सभी कार्यों के लिए पर्याप्त समय मिले।
लक्ष्य निर्धारित कर उन्हें प्राप्त करेः- अनेक कार्य सिर्फ नियत समय अंतराल में खत्म नहीं किए जा सकते फिर भी इस पूरे कार्य को अंजाम देने में लक्ष्य निर्धारित करे। अगर आपने उन्हें संगठित प्रयास से पूरा नहीं किया तो वे कार्य अव्यवस्थित हो जाएंगे और इससे आप अपनी इच्छाशक्ति तथा क्षमता दोनों काम को पूरा करने में खो देंगें, लेकिन यदि आपने अपने प्रयासों को लक्ष्य के अनुरुप संगठित किया तो आप पाएंगे कि आप अपने कार्य में निरंतर अग्रसर हैं जैसे ही आप इसे करना शुरु करते हैं। आपकी क्षमता में इजाफा होगा। प्रायः अनिर्धारित लक्ष्य से शुरु किया गया कार्य ही कठिनाईपूर्ण प्रतीत होती है।
संसाधनों का चतुरता से प्रयोग करेः- संसाधनों का चतुराई से प्रयोग करने से कार्य आसान तथा समय पर पूरा किए जा सकते हैं। उदहरणस्वरुप यदि कोई कार्य एक विशेष कौशल की अपेक्षा वाला हो जो आपमें नही है तो आप उस विशेष कार्य को संबन्धित सक्षम व्यक्ति से पूरा करवा सकते हैं। उदाहरण के लिए स्लाइड की तैयारी में प्रयुक्त ग्राफों का डिजाइन बनाना। ऐसे असंबंधित चीजों को आप अवकाश में सीख सकते हैं परन्तु इन्हें महत्पूर्ण कार्यों को छोड़कर पूरा नही करना चाहिए।
जैसे ही कोई काम आवंटन हो उसे जल्द से जल्द सुविधानुसार पुनरीक्षण करेः-आप काम के मिलते ही आप संभव है कि कार्य शुरु न कर पाएं इससे महत्पूर्ण बात यह है कि आप उस काम का पुनरीक्षण करें ताकि उससे जुड़ी चीजें स्वतः आपके ध्यान में आ जाएं। यदि आप उनसे जुड़े विस्तृत ब्यौरे को भूल चुकें हैं तो काम को सफलतापूर्वक अंजाम देना चुनौतीपूर्ण होगा। अतः काम के पुनरीक्षण के साथ- साथ आपको महत्वपूर्ण बातों की टिप्पणी तैयार कर लेनी चाहिए। जिससे आप जब तक काम को पूरी नहीं करते तब तक आपको बार-बार याद करने की आवश्यकता नहीं होगी।
दैनिक तथा साप्ताहिक कार्य की सूची तथा दीर्धावधि योजना बनाएँ :- कार्यों की सूची बनाने से दिमाग पर अतिरिक्त जोर नहीं पड़ता है तथा आप उन कामों में तन्मयता से लगकर कर सकते हैं। लम्बी अवधि के कार्यों के लिए योजना बनाएँ, वैसे कार्य जो योजना के हिस्सा होते हैं वे प्रायः स्वाभाविक निश्चित लक्ष्य से प्रेरित होते हैं।
अनावश्यक लेट-लतीफी से बचेः- हममे से बहुतों को महत्वपूर्ण कार्यों को भी को लटकाने की आदत होती है। इसके बहुत से कारण हो सकते हैं, यह भी हो सकता है कि कार्य को परिभाषित नहीं किया गया हो। यह भी हो सकता है कि संबंधित व्यक्ति को यह ध्यान ही न हो कि कार्य शुरु कैसे किया जाए, फिर भी यदि काम महत्वपूर्ण हो तो इन चीजों की वजह से अपने काम को शुरु करने में देर नहीं करना चाहिए। एक बार आप काम शुरु कर देते हैं, तो चुनौतियाँ शुरु हो जाती हैं। परन्तु जैसे ही आप यह सीख जाते हैं कि काम को पड़े रहने देने से अच्छा शुरु करना है तो आप ज्यादा कार्य को पूरा कर पाते हैं। वास्तविकता यह है कि हम काम की अपूर्णता का बहाना लेकर काम को ताल नहीं सकते अतः काम न करने से बेहतर है जो कुछ भी संसाधन है उसी से कार्य को पूरा करिए। जैसे ही आप कार्य शुरु करते हैं आपके पास उसकी गुणवत्ता सुधारने और परिपूर्णता लाने का एक अवसर प्राप्त होता है।
संपूर्ण नींद लेः- कभी भी ऐसे समय प्रबंधन योजना न बनाएँ जिससे सात से आठ घण्टे की नींद का समय न हो। पूरी तरह से आराम नही लेने पर सामान्य काम भी चुनौतीपूर्ण प्रतीत होने लगते हैं।