ज्यादातर दिनों में हमे कई लोगों से संवाद करना पड़ता है, जिसमे हम पाते है कि ऐसे लोगों से जैसे - हमारे नजदीकी मित्रों से हमें संवाद स्थापित करने में सहजता होती है; हालाँकि ऐसे मित्रों से भी कभी-कभी हमें आशा अनुरुप बातचीत में संतुष्टि नहीं मिलती। हममे से ज्यादातर लोगों को अन्य लोगों से संवाद स्थापित करना चुनौतीपूर्ण लगता होगा लेकिन हम इसे अंतरवैयक्तिक कौशलों से सहज बना सकते हैं। अंतरवैयक्तिक कौशल हमें व्यावसायिक एवं व्यक्तिगत जीवन में अत्यन्त आवश्यक हैं। ऐसे व्यक्ति जिनका अंतरवैयक्तिक कौशल अच्छी होती है उन्हें यह दूसरों के विचारों को समझने व संवाद स्थापित करने में सहजता प्रदान करती है तथा इसकी बदौलत वे आत्मविश्वास के साथ संवाद स्थापित कर पाते हैं।
अंतरवैयक्तिक कौशल के विकास के लिए आपको ज्यादा परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होगी। बस आपको इसका आभास होना चाहिए कि आप कैसे संवाद स्थापित करते है तथा इसके लिए थोड़ा अभ्यास करना जरुरी है। इसके आधार पर आप दूसरों से सहजता और आत्मविश्वास से संवाद स्थापित करना सीख सकते हैं।
अंतरवैयक्तिक कौशल के विकास के लिए अच्छी संवाद कौशल का होना आवश्यक है। अतः यदि आप यह महसूस करते हैं कि आपको अपने विचारों को व्यक्त करने में असहजता होती हो तो आपको संवाद क्षमता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
प्रायः अंतरवैयक्तिक कौशल का मतलब छोटी या बड़ी समस्या का आप पर होने वाला प्रभाव एवं उस समस्या के समाधान से ज्यादा आपका उस पर समस्या के प्रति आपका अपना व्यवहार प्रदर्शन होता है कि आप कैसे उसका समाधान ढूँढ़ते है, अतः ऐसी परिस्थिति मे शांतचित्त होकर समस्या के समाधान में प्रभावी कदम उठाने की क्षमता ही आपकी अंतरवैयक्तिक कौशल का विकास करेगा। यह आपकी समस्या का समाधान करेगा तथा संवाद को टूटने से बचाएगा, जिससे समस्याएँ बढ़ती हैं। शांतचित्त होना भी आपको मदद करता है, क्योंकि जब आप तनाव में होते हैं तो सही संवाद स्थापित नहीं हो पाती है।
ऐसे स्थिति मे निर्णय लेना, आपके अंतरवैयक्तिक कौशल की परीक्षा होती है क्योंकि ऐसे समय मे विपरीत विचारों के व्यक्त होने की संभावनाएं भी होती हैं तथा हमारे बातचीत की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि हमारे पास किस-किस प्रकार के विकल्प हैं और उनका मूल्यांकन किस प्रकार से किया जा रहा है और अंततः किस प्रकार से निर्णय लिए जा रहे हैं। आप अपना विकल्प तार्किक ढंग से रखें और दूसरों के विचारों को ध्यानपूर्वक सुने यही अच्छा होता है। जिससे आपको सर्वश्रेष्ठ विकल्प चुनने में मदद मिलती है। चाहे वह विकल्प आपके द्वारा या किसी और के द्वारा व्यक्त की गई हो।
अच्छी अंतरवैयक्तिक कौशल का यह अर्थ नहीं होता कि आप अपने आपको परिवर्तित कर माहौल के अनुरुप हो लें आप जो करना चाहे वैसा ही हो ऐसा भी संभग नही होता फिर भी यदि आप अपने विचारों से लोगों को संतुष्ट कर सके तो लोग आपकी बातों को स्वीकार करेंगे और चाहे वे आपसे सहमत न भी हों इसके लिए आपको अपने कारणों को स्पष्ट रुप से रखना अत्यंत आवश्यक है।
संवाद के दौरान कठिन परिस्थितयों में आपको अपनी भावनाओं पर काबू पाने की क्षमता होनी चाहिए तथा हमें दूसरों के भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए । हमें लोगों की भावनाओँ के बारे पूर्वानुमान लगा लेना चाहिए, जब आप मुश्किल हालात पर बात कर रहे हों। यदि आवश्यक हो तो हमे लोगों को समझने के लिए समय देना चाहिए ताकि वे अपनी भावनाओं पर काबू पा सके। प्रायः किसी भी प्रकार के परिवर्तन की स्थिति में संवाद स्थापित करना मुश्किल होता है। अतः उन परिवर्तनकारी परिस्थितियों को समझना आवश्यक है न कि तुरन्त नकारात्मक तरीके से प्रतिक्रिया जता देना। क्योंकि इससे सामान्य ढंग से काम करना मुश्किल होता है। परिवर्तन अपने साथ नए अवसरों को भी साथ लाती है तथा परिवर्तन को टाला भी नही जा सकता । अतः सकारात्मक नजरिया का होना तथा ऐसे कठिन हालातों पर संवाद स्थापित कर पाना ही मुश्किल परिस्थतियों को पार पाने का सबसे महत्पूर्ण तरीका है।
विवाद एवं विवादों का समाधान करने का प्रयास हमारे अंतरवैयक्तिक कौशल का अच्छा परीक्षा लेता है। विवाद शायद ही कभी किसी मुद्दे पर सही विमर्श का कारण बन पाता है इससे सिर्फ और सिर्फ लोगों के अहं को ही ठेश लगती है अतः यदि आप विवादास्पद मुद्दो पर उलझने जैसी स्थिति मे पहुँच रहे हों तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। आपको अपनी भावनाओं को काबू मे रखना चाहिए तथा अपनी संवाद को यथासंभव विनम्र ही रखना चाहिए तथा अपनी दृष्टिकोण एवं तर्कपूर्ण विचार को शांत ढंग से व्यक्त करना चाहिए। यह बातचीत को उत्तेजक होने से रोकती है, एसी स्थिति मे कभी आप किसी के निजी जीवन पर जाने से बचे तथा अपनी आवाज को संतुलित रखे जिससे आप जो कहना चाह रहे हों उसका अर्थ परिवर्तित ना हो। विवाद के समाधान मे का अर्थ ये नहीं होता कि आप अपनी बात से पीछे हटे जिससे आप पीछे नहीं हटना चाहते। कभी- कभी विवादों का कारण लोगों का किसी विषय मे जानकारियों का अभाव अथवा सही जानकारी का नहीं होना भी होता है जिससे वे गलत धारणाओं का विकास करते हैं और विवाद का जन्म होता है, यदि प्रत्येक व्यक्ति संबन्धित वैश्य की गहराई मे सावधानीपूर्वक जाये तो विवादों को सहज ढंग से सुलझाया जा सकता है। यदि विवाद अवश्यंभावी प्रतीत हो तो आप उस विषय से दूरी भी बना सकते है। एसी स्थिति मे आप बातचीत से खुद को अलग भी कर सकते है या सहमति या असहमति व्यक्त कर सकते हैं अथवा किसी को इस मामले मे हस्तक्षेप के लिए भी आमंत्रित कर सकते हैं।यहाँ तक कि आप आगे बढ़ते हुये स्पष्ट ढंग से अपनी बातों को रख सकते है लेकिन ऐसे स्थिति मे आपको कठोरता से बचना चाहिए, जिससे किसी का अपमान ना हो। यदि आप बातचीत से अनावश्यक तैश से बचते हैं तो संभव है कि आप एक समाधान तक पहुँच जाएँ। मानवीय इतिहास ऐसे कई विवादास्पद मुद्दों से भरी पड़ी है जहाँ विपरीत विचारधाराएँ साथ-साथ चलती आई हों या एक निश्चित समाधान तक पहुँची हों। हुमारे पास कई विवादरहित तरीके मौजूद है जहाँ विपरीत विचारधारा होने के बावजूद विमर्श किए जा सकते हैं। आप ऐसे किसी भी मामले मे बिना विवाद के तर्क-वितर्क कर सकते हैं।
अंतरवैयक्तिक कौशल का एक महत्पूर्ण भाग लोगों के प्रति सम्मान के भाव का होना भी है। आप अपने पसंद के व्यक्तियों का चुनाव कर सकते हैं, परन्तु आपको आदर देने में लोगों का चुनाव नहीं करना चाहिए, आपको प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए। जब आप लोगों से सम्मान से पेश आते हैं तो लोग आपको ध्यान से सुनते हैं तथा खुलकर अपने विचारों के व्यक्त करते हैं। यदि आप अपनी वरिष्ठता क्रम को ध्यान में न रखकर सभी से सम्मान से पेश आते हैं तो आपको भी बदले में सम्मान प्राप्त होता है। एक बार जब हम परस्पर सम्मान भाव से जुड़ जाते हैं तो संवाद आसान हो जाता है और आप वैसे लोगों के साथ भी गहराई से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं।