कृषि रसायन विभाग के संदर्भ मे :-

भारतवर्ष मे शर्करा उत्पादन हेतु गन्ना ही मूलभूत कच्चे माल का स्रोत है, अतः गन्ने के मात्रात्मक एवं गुणात्मक विकास शर्करा के मांग की पूर्ति हेतु आवश्यक है। यह कृषि रसायन विभाग लगातार गन्ने की अधिक उत्पादन एवं अधिक शर्करा युक्त नई प्रजातियों के विकास, फार्म के मशीनीकरण एवं गन्ना उत्पादकता बढ़ाने हेतु अन्य स्रोतो पर कार्य कर रहा है। यह विभाग कृषि प्रक्षेत्र का प्रबंधन करता है जहाँ संस्थान के शर्करा प्रयोगशाला के लिए गन्ने के उत्पादन के साथ-साथ फार्म मे कृषि रसायन संबन्धित शोध परीक्षणों को किया जाता है। यह विभाग सक्रिय रूप से अन्य संभावी खाद्य सामग्री जैसे :- चुकंदर, मीठी चरी/ ज्वार, मीठा आलू/ शकरकंद आदि से एथनोल के उत्पादन हेतु कार्यरत है। विभाग विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा मान्यता प्राप्त अग्रिम शोध केंद्र के रूप मे शोध कार्यों द्वारा छात्रों को पी0एच0डी0 की उपाधि प्रदान करता रहा है।


परियोजनाएँ जिन पर शोध कार्य जारी है :-

  • “पोटाश के प्रयोग द्वारा पोषक तत्वों के ग्रहण पर प्रभाव के साथ गन्ने के रस एवं उत्पादन पर प्रभाव” पर प्रोजेक्ट राष्ट्रीय शर्करा संस्थान एवं अंतर्राष्ट्रीय पोटाश संस्थान, स्विट्जरलैंड के सहयोग से पूरा किया जा रहा है।
  • “पोटाश एवं जिंक जैसे पोषक तत्वों का मीठी चरी संस्य एवं जैव रासायनिक गुणों पर प्रभाव एवं एथनोल का उत्पादन।”
  • “पोटाश, जिंक एवं सल्फर का चुकंदर की प्रजातियों CV-PAC-60008, LS-6 के संस्य एवं जैव रासायनिक गुणों पर प्रभाव एवं एथनोल उत्पादन।”

पूर्ण हो चुके शोध कार्य

  • • गन्ने के कटाई से पूर्व सर्वेक्षण द्वारा चीनी की परता मे वृद्धि।

प्रकाशन :-

15 से ज्यादा शोध पत्र एवं समीक्षा इस विभाग के द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रकाशित।

दीर्घा